रुड़की प्रेस क्लब के नाम पर निजी समूह बनाकर गुनाह करने वाले प्रेस क्लब सदस्यों के कार्यकाल की समीक्षा करें समूह के संरक्षण दाता वरिष्ठ पत्रकार ,,,।

रुड़की प्रेस क्लब के नाम पर निजी समूह बनाकर गुनाह करने वाले प्रेस क्लब सदस्यों के कार्यकाल की समीक्षा करें समूह के संरक्षण दाता वरिष्ठ पत्रकार ,,,।

रुड़की प्रेस क्लब के नाम पर निजी समूह बनाकर गुनाह करने वाले प्रेस क्लब सदस्यों के कार्यकाल की समीक्षा करें समूह के संरक्षण दाता वरिष्ठ पत्रकार ,,,।
रुड़की
अनवर राणा
रुड़की प्रेस क्लब के नाम पर यूं तो कई बार कुछ पत्रकारों द्वारा पोर्टल व फोटो ग्राफरो को शामिल कर एक समूह का संगठन खड़ा किया जा चुका है,लेकिन संगठन अन्य शहरों की तरह कारगर साबित नही हुआ।क्योंकि कई मामलों में तो रुड़की प्रेस क्लब के नाम पर बने पदाधिकारियों की भूमिका ही अवैध वसूली के चक्कर मे संदिग्ध पायी गयी।लेकिन फिर भी किसी वरिष्ठ पत्रकार व क्लब की रीढ़ कहे जाने वाले पितामह की उपाधि हासिल करने वालो ने कोई मीटिंग बुलाकर जिम्मेदारी नही तय की जा सकी जिससे कुछ नोसिखये पत्रकारों के हौसले पूरा कार्यकाल बुलन्द रहे ओर रुड़की प्रेस क्लब को शर्मसार करते नजर आये।यही कुछ पत्रकारों के पितामह कहे जाने वाले लोग समूह निर्माण की कुछ शर्तें भी मर्जी मुताबिक रखकर अपना निजी समूह बनाकर जेब भरने का काम करते है।जो हकीकत में पत्रकारिता कर समाज की बुराइयों को लगातार उजागर करता रहा हो उसको समूह का सदस्य इसलिये नही बनाया जाता कि उक्त व्यक्ति रुड़की का पत्रकार नही है,फिर सवाल यह उठता है कि रुड़की प्रेस क्लब व रुड़की के पत्रकार देहात व कस्बो तथा ग्राम स्तर के राशन डीलर से अवैध उगाही करने पर क्यों पीटते है जब वो रुड़की एरिया की पत्रकारिता के स्वयम्भू अपने आप को व समूह को जागीर मानते है।ऐसे में पिछले कार्यकाल के दौरान हुई ऐसी घटनाओं की समीक्षा होनी लाजमी है तभी नया संगठन क्लब व समूह बनाना चाहिये,नही तो पत्रकारिता को कब तक कलंकित करने का काम अपने आपको पितामह कहे जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार करते ओर कराते रहेंगे।

उत्तराखंड