खानपुर विधान सभा में हो रही उमेश की उछलकूद के आखिर कुछ तो है सियासी षड्यंत्र ,,,।

खानपुर विधान सभा में हो रही उमेश की उछलकूद के आखिर कुछ तो है सियासी षड्यंत्र ,,,।

खानपुर  विधायक की तरह पत्रकार उमेश के भी प्रदेश में चर्चे नही हैं कम,,,?

जानिये पूरी खबर में,,,।

खानपुर विधान सभा में हो रही उमेश की उछलकूद के आखिर कुछ तो है सियासी षड्यंत्र ,,,।

रुड़की।
अनवर राणा
*आ बैल मुझे मार वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी,* ये कहावत इन दिनों जनपद हरिद्वार की खानपुर विधानसभा सीट पर एक कलमकार द्वारा की जा रही हरकतों पर सटीक बैठ रही है। हरकतें ऐसी की सुर्खियों में बने रहने के लिए स्वयं ही नए-नए वीडियो ऑडियो जारी कर सोशल मीडिया पर कुछ भी आये दिन जारी कर सुर्खियां बटोरी जरही है, इस सीट से बड़बोले विधायक को घेरने का दावा करने वाले कलाकार के भी हकीकत में किए गए कारनामों के चर्चे कम नहीं हैं। प्रदेश के प्रमुख दलों पर न बोलने से इस कलमकार की उछलकूद के पीछे किसी बड़ी राजनीतिक साजिश की बू आ रही है। प्रदेश में ऐसा कोई दल इस कलमकार का सगा नही है जिसे इसने ठगा नही है।
विधानसभा चुनाव 2022 जैसे-जैसे नज़दीक आरहा है वैसे ही प्रदेश का सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है, कुछ नेता अपने ही दल के लोगों को घेरने के लिए नए नए हथकंडे अपना रहे हैं, तो कुछ बनते बिगड़ते सियासी समीकरण के ईनतज़ार में है। जनपद हरिद्वार की खानपुर विधानसभा सीट पर एक कलमकार ने भी कुछ कलमकारों की जमात के साथ उछलकूद शुरू की है, कलमकार किसी दल को निशाने पर लेने की बजाए मौजूदा भाजपा विधायक को ललकार रहा है, जिस पार्टी के ये विधायक है उस पर कोई टिप्पणी कलमकार द्वारा नही की जा है। बात यहां तक तो ठीक है, लेकिन इनके द्वारा जो बयानबाज़ी हो रही है उसमें ये कलमकार मौजूदा विधायक की ही तर्ज पर खुद को बाहुबली कहने की जगह खुद को बाहुबली के तौर पर पेश कर रहा है, खुद को मौजूदा विधायक से अधिक धनवान, रसूखदार, पढालिखा, ज़्यादा जानकार मतलब ये की मौजूदा विधायक बड़बोलेपन को लेकर चर्चित है तो ये कलमकार भी बड़बोलेपन को टारगेट कर विधायक को उकसाने का प्रयास कर रहा है और विकल्प के तौर पर खुद को पेश करने की कड़ी जद्दोजहद में है, ऐसा यहां पहले भी मौजूदा विधायक के सजातीय कई प्रत्याशी अलग अलग दलों से ताल ठोक कर कर चुके है लेकिन कामयाबी नही मिली, मौजूदा विधायक अपने बड़बोलेपन के चलते अपने राज्य व मीडियाकर्मियों के अलावा ऊलजलूल हरकतें कर फ़ज़ीहत का सबब बनते रहे हैं। लेकिन फिर भी चार बार से विधायक हैं,
कलमकार भी मौजूदा विधायक के बड़बोलेपन की तरह कम चर्चित नही है विधायक सिर्फ बड़बोले है तो ये कलमकार हकीकत में अपने कारनामों को लेकर तब ज़्यादा चर्चा में आया जब हरीश रावत सरकार स्थिर कराने में इनका नाम जुड़ा, उसके बाद जनाब के साथ किया नही हुआ ये उनसे अधिक कोई नही जानता, प्रदेश व देश की जनता ने सिर्फ खबरों में पढ़ा या सुना, उसके बाद त्रिवेंद्र सरकार भी साज़िश या हकीकत पता नही इनका शिकार होने से बाल बाल बची, लेकिन इनकी शामत आगई, रावत सरकार की स्थिरता के बाद से कलमकार को जबतक राज्य में निज़ाम नही बदला तबतक सिर छिपाने तक की जगह नही मिल रही थी, निज़ाम बदला राज्य के मुखिया पुष्कर सिंह धामी बने तो मानों जनाब की भी लाटरी लग गई उड़नखटोला उड़ाने से लेकर भाजपा के ही विधायक को घेरना ही नही बल्कि खुलकर बयानबाज़ी का अधिकार भी मिल गया। इस विधानसभा में जो हो रहा है कलमकार द्वारा जो उछलकूद की जा रही है राजनीति में ये कोई सामान्य चीज़ नही है। इस सीट से मौजूदा विधायक को घेरने के पीछे बड़ी राजनीतिक साजिश है ये तो साफ है लेकिन इसके पीछे विधायक की पार्टी के बड़े बड़े नेता शामिल है ऐसा सन्देश इन जनाब की हरकतों से साफ मिल रहा है। राजनीति में इशारे भी बड़े मायने रखते है कलमकार द्वारा राज्य स्थापना के दिन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डाला गया है उसमें मुख्यमंत्री धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट के साथ कलमकार खाना परोसते नज़र आरहे है वीडियो के साथ जो इबारत लिखी है उसमें मुख्यमंत्री धामी की तारीफ के पुल बांधे गए हैं, ये सामान्य भी हो सकता है हम सिर्फ कयास लगा सकते हैं, त्रिवेंद्र सरकार के समय इन्हें सिर छिपाने की जगह नही मिली धामी के वक्त प्रदेश में इनका उड़नखटोला भी उड़ रहा है, इसका मतलब पार्टी में भी सबकुछ ठीक नही चल रहा है। खैर जो कुछ इस विधानसभा में घट रहा है उससे किसको लाभ किसको नुकसान होगा कहना जल्दबाजी होगा परन्तु हालात और हरकतें बता रही हैं पहली सरकारों की तरह इस कलमकार की जद में कोई तो आएगा ज़रूर ही, चाहे स्टिंग के ज़रिए चाहे किसी अन्य कारण से, इसीलिए कहा जा रहा कि ऐसा इनका कोई सगा नही जिस सरकार को इन्होंने ठगा नही।

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