ज्वालापुर सीट पर कोंग्रेस में बगावत से क्या रवि बहादुर लगा पायेंगे नय्या पार, जनता में आक्रोश,,,,,।
कोंग्रेसियो के बागी तेवर से कैसे उबर पायेंगे रवि बहादुर,,,,
रुड़की/कलियर
ज्वालापुर सीट पर कोंग्रेस टिकट बाल्मीकि समाज के रवि बहादुर को होने पर पुराने कोंग्रेसी कार्यकर्ता व पिछले चुनाव में मामूली अंतर से चुनाव हार ने वाले एसपी सिंह इंजीनियर ने पार्टी से बगावती तेवर दिखा कर आजाद समाज पार्टी से चुनाव में ताल ठोंक दी है। क्योंकि 2012 से वजूद में आई ज्वालापुर सीट पर पहले कोंग्रेस प्रत्यासी एसपी सिंह ही कोंग्रेस से चुनाव लड़े ओर उसके बाद 2017 में भी एसपी सिंह ने ही भाजपा की लहर होने के बावजूद भाजपा को कड़ी टक्कर दी ओर मामूली अंतर से चुनाव हार गये थे दूसरी तरफ पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बरखा रानी ने पूर्व में भी दावेदारी की थी ओर इस बार भी प्रबल दावेदारी होने से कोंग्रेश हाइकमान ने उन पर ही भरोसा कर टिकट की घोषणा भी कर दी थी लेकिन बाल्मीकि समाज के इंजीनियर रवि बहादुर ने चौबीस घण्टे से पूर्व ही टिकट तो झटकने में कामयाबी हासिल कर ली परन्तु क्षेत्र में विरोध के स्वर भी प्रबल हो गये है।दूसरी तरफ एसपी सिंह ने कोंग्रेस को अलविदा कर आजाद समाज पार्टी से चुनाव में ताल ठोक कर कोंग्रेस से अपमान का बदला लेने की कसम खाई है।वही हरक सिंह रावत के साथ कोंग्रेस ज्वाइन करने वाली ब्रजरानी पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत ने भी निर्दलीय ही ताल ठोंक कर रवि बहादुर व कोंग्रेस को सबक सिखाने का बीड़ा उठा दिया है ।कोंग्रेस के वरिष्ठ व जिला पंचायत के वरिष्ठ सदस्य भूप सिंह की टिकट की दावेदारी नकारने के पीछे कोंग्रेस में विरोध होना निधचित है ओर भूप सिंह की चुप्पी भी कुछ बयान करती नजर आ रही है।ऐसे में कोंग्रेस पार्टी द्वारा प्रत्यासी बनाये गये रवि बक़हादुर की डगर भी मुश्किल भरी होने की उम्मीद की जा रही है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कोंग्रेस कार्यकर्ताओ ओर एसपी सिंह,ब्रजरानी,बरखा,भूप सिंह की चुप्पी व विरोधी तेवरो से रवि बहादुर उबर पायेंगे या नही यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा ।लेकिन फिलहाल कोंग्रेस की नय्या पार होना मुश्किल ही नजर आ रहा है।