10 मार्च को होने वाली पूरी मतगणना प्रक्रिया होगी सीसीटीवी निगरानी में सम्पन्न ,,,सहायक निर्वाचन अधिकारी हरिद्वार

10 मार्च को होने वाली पूरी मतगणना प्रक्रिया होगी सीसीटीवी निगरानी में सम्पन्न ,,,सहायक निर्वाचन अधिकारी हरिद्वार

10 मार्च को होने वाली पूरी मतगणना प्रक्रिया होगी सीसीटीवी निगरानी में सम्पन्न ,,,सहायक निर्वाचन अधिकारी हरिद्वार

अंतिम राउंड के बाद प्रत्येक विधानसभा में पांच-पांच बूथ से वीवीपीएट पर्चियों की रैंडम की जायेगी जांच,,,,,,,, प्रत्याशी भी किसी बूथ से वीवीपीएट पर्चियों की कर सकते है जांच,,,।

हरिद्वार।
अनवर राणा
विधानसभा चुनाव की मतगणना में अब आठ दिन का समय शेष बचा है। दस मार्च को होने वाली मतगणना में अंतिम राउंड के बाद प्रत्येक विधानसभा में पांच-पांच बूथ से वीवीपीएट पर्चियों की रैंडम जांच की जाएगी। प्रत्याशी भी किसी बूथ से वीवीपीएट पर्चियों की जांच की मांग कर सकते हैं। ईवीएम को लेकर बीते कुछ चुनावों में विवाद देखने को मिले हैं, इस कारण अब आयोग सभी ईवीएम के साथ वीवीपीएट जोड़ चुका है। जिसमें प्रत्येक मत की पर्चियां जमा होती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के समय कुछ दलों ने ईवीएम के साथ वीवीपीएट में दर्ज सभी मत गिने जाने की मांग उठाई थी, लेकिन आयोग ने इस प्रक्रिया में अनावश्क समय लगने का तर्क देते हुए प्रत्येक सीट पर किन्हीं पांच बूथ की पर्चियां की गिनने की व्यवस्था लागू की थी। यही नियम मौजूदा विधानसभा चुनाव में भी लागू होंगे। इसके तहत मतगणना के दौरान ईवीएम ओर वीवीपीएट में दर्ज मतों की संख्या का ही मिलान किया जाएगा। अंतिम राउंड समाप्त होने के बाद रिटर्निंग अधिकारी किन्हीं पांच बूथों की वीवीपीएट पर्चियों की रैंडम जांच करवाएंगे। इसमें सभी पांच वीवीपीएट में कुल दर्ज मतों के साथ ही प्रत्याशी वार मिले मतों का मिलान संबंधित ईवीएम से किया जाएगा। इस दौरान प्रत्याशी चाहें तो उनकी पसंद के बूथ की वीवीपीएट की भी जांच कराई जा सकती है। यदि किसी वजह से वीपीपीएट ओर ईवीएम में दर्ज मतों में अंतर आता है तो फिर प्रिंट पर्चियां ही अंतिम मानी जाती है। सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी मस्तू दास के मुताबिक पूरी मतगणना प्रक्रिया सीसीटीवी निगरानी में सम्पन्न होगी। यदि किसी बूथ पर वीवीपीएट और ईवीएम में मॉक पोल के मत भूलवश दर्ज रह जाते हैं तो इस बार उन मतों को कुल मतों से हटा दिया जाएगा। इसके लिए पोलिंग अधिकारी की हैंडबुक में दर्ज विवरण की सहायता ली जाएगी। पिछली बार उत्तराखंड में यह समस्या पेश आई थी, इस बार आयोग ने इसके लिए अलग से दिशा निर्देश जारी किए हैं।

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