आपदा में अवसर ढूंढने का दरगाह लेखाकार सफीक का सामने आया अनोखा भृष्ट कारनामा,,,,

आपदा में अवसर ढूंढने का दरगाह लेखाकार सफीक का सामने आया अनोखा भृष्ट कारनामा,,,,

आपदा में अवसर ढूंढने का दरगाह लेखाकार सफीक का सामने आया अनोखा भृष्ट कारनामा,,,,

मस्जिद की सफों के नाम पर लाखों के फर्जी बिल भुगतान के मंसूबे पर सीईओ वक्फ ने कैसे लगाया ग्रहण,,,
रुड़की/कलियर
अनवर राणा
*कहावत है कि जब बाढ़ ही खेत को खाने लग जाये तो बेचारा खेत क्या करे*
यह कहावत दरगाह प्रबंधतंत्र पर बिल्कुल सटीक बैठती है।दरगाह की आय व व्यवस्थाओं का जिम्मा रखने वाला दरगाह दफ्तर ही भ्र्ष्टाचार में लिप्त होकर दान से प्राप्त होने वाली आय को ठिकाने लगाने में लग जाये तो शिकायत किससे की जाये? जी हां दरगाह की प्रतिवर्ष दानपत्रों व ठेकों से करोड़ो की आय होती है।इन्ही करोड़ो में कुछ अवसरवादी अधिकारी व लेखाकार/कार्यवाहक प्रबंधक अवसर तलाशते है ओर किसी हद तक कामयाब भी हो जाते है।नुकसान हर हाल में दरगाह की आय का ही होता है।जैसा कि इन दिनों दरगाह दफ्तर में एक रिटायरमेंट सरकारी नोकरी करने वाला महाभृष्ट प्राइवेट लेखाकार सफीक अहमद दरगाह के दान के पैसे से पेंशन के अतिरिक्त 30,000 हजार रुपये प्रतिमाह के मानदेय पर जिमेदारी निभा रहा है ,जबकि अब से पूर्व हमेशा लेखाकार/प्रबंधक के अतिरिक्त पद पर जिला प्रशासन का मुलाजिम ही जिम्मेदारी निभाता रहा है।लेकिन इस भृष्ट व्यक्ति की सेटिंग से नियम कानून के विपरीत एक नही अनेक कार्यो को अंजाम दिया जाकर दरगाह की आय को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के काम को अंजाम दिया जा रहा है।जिनमे ठेकेदारों के निर्माण से लेकर कर्मचारियों की वर्दी के बिल हो या कोविड के पिक समय मे जब दरगाह व मस्जिद बंद थी उस समय जुलाई 2020 में सफो की खरीद वो भी तब जब बाजार शोरूम सब बंद थे ओर तो ओर सड़को पर लोगो के निकलने पर तालाबंदी (लोक डाउन )लगा हुआ था ।ओर दरगाह दफ्तर का लेखाकार सफीक अहमद बड़ी ही चालाकी से मस्जिद के लिये दूसरे प्रदेश यूपी के सहारनपुर की हबीब ट्रेडर्स नामक फर्म से 2 लाख 40 हजार रुपये में सफो की कथित खरीद के भुगतान की फाइल ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की से पास कराकर आईएएस मुख्य कार्यपालक अधिकारी वक्फ बोर्ड के समक्ष भुगतान कराने पहुंचा तो मामले की सच्चाई जानने के लिये सीईओ वक्फ ने उक्त पत्रावली पर वक्फ इंस्पेक्टर से आख्या तलब कर रिपोर्ट मांगी जाने पर हबीब ट्रेडर्स फर्म जीएसटी में रजिस्टर्ड न होने ओर खरीद के समय मस्जिद कोरोना काल मे लोकडॉन लगा होने के कारण बंद व बाजार तथा शोरूम सहित सड़को पर सन्नाटा होने के बावजूद सफो की खरीद कैसे हुई यह जांच का विषय बताकर आख्या वक्फ सीईओ को प्रेषित की गई तो पूरे मामले का भंडाफोड़ हो गया ओर बिल भुगतान को रोक कर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट तलब की गई,जिसपर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की ने जांच समिति बनाकर रिपोर्ट तलब की है।जांच समिति दरगाह दफ्तर के चक्कर काट कर बैरंग वापिस हो चुकी है।जबकि सूत्रों से जानकारी मिली है कि लेखाकार सफीक अपने किये गये षड्यंत्र व फर्जी बिल भुगतान की जिम्मेदारी जांच समिति के समक्ष अपने से पूर्व प्रबंधक/जल संस्थान के जे ई पर थोप कर अपनी जान बचाने की कोशिश में लगा है।सूत्रों का कहना तो यह भी है कि इस पत्रावली के बिल भुगतान की पत्रावली में जीएसटी की चोरी होने की पुष्टि भी पूर्व में हो चुकी क्योंकि लँढोरा निवासी व्यक्ति के द्वारा वर्दी ,रंगरोगन,सफो के बिल भुगतान में लगे फर्मो का रजिस्ट्रेशन भी जीएसटी में नही पाया जाना पूर्व में ही पाया जा चुका था फिर उक्त पत्रावली को भुगतान के लिये लेखाकार/प्रबंधक के द्वारा पुनः क्यों चलाया गया है इसकी जांच भी होनी लाजमी हो गयी है।

उत्तराखंड