शिक्षक एक मास्टर जी के जेल जाने से क्यों नही लेते सबक ,,,
प्रबंधक बनने के लिए जिले से लेकर राजधानी तक कि दौड़, नतीज़ा निकला “ढाक के तीन पात..
शिक्षा विभाग में आखिर क्या हो रहा है जो हर मास्टर बनना चाहता है निःशुक प्रबंधक,,,,
पिरान कलियर:
अनवर राणा
शासन से लेकर प्रशासन तक मायूसी हाथ लगने के बाद भी साहब उम्मीद की किरण लिए, इधर-उधर भटक रहे है। मास्टर की कुर्सी से सीधा लपक कर प्रबंधक की कुर्सी पर बैठने का सपना रात और दिन का सुकून छीने हुए है, क़िस्मत साथ देती है तो हालात रूठ जाते है, और जब हालात पक्ष में होते है तो कोई ना कोई रास्ते का पत्थर मंजिल में रोड़ा बन जाता है। जी हां दरअसल एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले मास्टर जी को अचानक प्रबंधक बनने की बीमारी लग गई, और मर्ज इतना बढ़ा की मास्टर जी ने इलाज के लिए मंत्रियों, सन्तरियो से लेकर अधिकारियों तक के दरबार मे हाजिरी लगाई, लेकिन बदकिस्मती से कोई भी मास्टर जी की नब्ज नही पकड़ सका, और इलाज अधूरा रह गया। इस कहानी की शुरुआत तब हुई जब लॉक डाउन से पहले दरगाह दफ्तर में एक सरकारी मास्टर की नियुक्ति दरगाह प्रबंधक के रूप में कर दी गई। तभी अन्य मास्टरों में भी उम्मीद किरण जगी और उन्होंने भी आगे बढ़ने की सोची। इन्ही के बीच ज्वालापुर स्थित एक सरकारी स्कूल में तैनात मास्टर जी ने प्रबंधक बनने की जुगत बैठाई, और जिले से लेकर प्रदेश की राजधानी तक के रास्ते नाप डाले, सूत्र बताते है कि इस सपने को साकार करने के लिए मास्टर जी ने कई महीनों की तनख्वाह पर भी पानी फेर दिया, फिर एक दिन संबंधित विभाग के मंत्री ने एक लेटर मास्टर जी को थमाया और जल्द ही प्रबंधक की कुर्सी पर बैठाने का भरोसा दिलाया, लेकिन ये भरोसा भी ज्यादा दिन तक नही चल सका, सूत्र बताते है कि मंत्री जी के लेटर पर अधिकारी ने साफ इंकार कर दिया। दिलचस्प बात ये है कि इतनी जगह से रुसवा होने के बाद भी साहब खूब फड़फड़ा रहे है।
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नियुक्ति में अड़चन….
कुछ दिन पहले एक लेटर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जो उत्तराखंड सरकार के एक मंत्री ने जिलाधिकारी हरिद्वार के नाम लिखा था। लेटर में सरकारी मास्टर तारिक अनवर को दरगाह प्रबंधक पद पर नियुक्त किए जाने की बात कही गई थी। सूत्र बताते है कि जिलाधिकारी ने लेटर का जवाब देते हुए मास्टर जी की नियुक्ति पर विराम लगा दिया। दरअसल दरगाह वक़्फ़ पिरान कलियर की व्यवस्थाओं का जिम्मा उच्च न्यायालय के आदेश पर जिलाधिकारी हरिद्वार देख रहे है, ऐसे में वव्यस्थाओ को दुरुस्त रखने का जिम्मा मात्र प्रशासन के कंधे पर है।