उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड चला पुराने ढर्रे :कई तरह की चर्चा व्याप्त,,,
सीईओ वक्फ द्वारा बोर्ड बैठक के निर्णयों का किर्यान्वयन न करने से दीमक की तरह चाट रहे कुछ दरबारी वक्फ तथा दरगाह की आय,,,
रुड़की।
अनवर राणा।
उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड प्रदेश भर में फैली चल व अचल वक्फ सम्पत्तियों की देखभाल के लिये प्रदेश सरकार के द्वारा गठन करने की प्रकिर्या से बड़े बड़े दावे कर किया जाता है।लेकिन बिस वर्ष से अधिक होने के बावजूद उत्तराखण्ड प्रदेश का वक्फ बोर्ड अपने प्रदेश की वक्फ सम्पत्तियों की रखवाली न कर उन सम्पत्तियों को कब्जाने वालों के साथ खड़ा दिखाई आज भी दे रहा है।प्रदेश की जनता में वर्तमान वक्फ बोर्ड को लेकर कुछ आस जगी थी ओर लोगों का मानना था कि जीरो टोलरेंश पर चलने वाली भाजपा सरकार में वक्फ माफियाओं पर लगाम लग सकती है लेकिन हो उसके उलट रहा है।क्योंकि सीईओ वक्फ के द्वारा वर्तमान बोर्ड की हाल फिलहाल पिछले माह हुई बोर्ड बैठक के निर्णयों के किर्यान्वयन नहीं करने से लगता है कि जीरो टोलरेंश की धज्जियां उड़ती देखनी हो तो मौजूद वक्फ बोर्ड के चेयरमैन से लेकर अन्य सदस्यों द्वारा आमूलचूल परिवर्तन कर वक्फ को बचाने के बड़े बड़े दावे भी भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ते नजर आने शुरू हो गये हैं।जिसकी चर्चा जनता में सुनाई देनी शुरू हो गयी है।यही कारण है कि वक्फ बोर्ड की सबसे ज्यादा आमदनी देने वाली दरगाह साबिर पाक कलियर की व्यवस्था जबसे रिटायर्ड कर्मी सफीक अहमद को दान के 30 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर सीईओ वक्फ बोर्ड आईएएस अहमद इकबाल ने रखा है ओर दरगाह कार्यालय स्टाफ के कुछ कर्मचारियों की मार्फ़त दरगाह की आय को जानबूझ कर तभी से आज तक दीमक की तरह दान की चल सम्पत्ति व अचल संपत्ति का करोड़ो में नुकसान दिया जा रहा है ओर जीरो टोलरेंश पर कार्य करने वाला उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड ओर भाजपा की सरकार आंख मूंद कर तमाशबीन बन रही है जिसको लेकर वर्तमान वक्फ बोर्ड भी पुराने वक्फ बोर्ड के ढर्रे पर चलता दिखाई देने लगा है ओर बोर्ड पदाधिकारियों के बड़े बड़े दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं ऐसी चर्चा उतपन हो रही है