जिस तिलक, तराजू ओर तलवार के नारे के साथ जन्मी बसपा को प्रभारियों की सवर्ण राजनीति से होगा बड़ा नुकसान,,,

जिस तिलक, तराजू ओर तलवार के नारे के साथ जन्मी बसपा को प्रभारियों की सवर्ण राजनीति से होगा बड़ा नुकसान,,,

 

प्रदेश बसपा प्रभारियों के पास 500 सवर्ण वोट डलवाने की नहीं क्षमता , तो कैसे होगी उत्तराखण्ड में बसपा मजबूत,,,चर्चा जोरों पर

जिस तिलक, तराजू ओर तलवार के नारे के साथ जन्मी बसपा को प्रभारियों की सवर्ण राजनीति से होगा बड़ा नुकसान,,,

इमरान मसूद की दोनों पार्टी के कद्दावर विधायकों को लेकर की तल्ख टिपणी का लोक सभा चुनाव पर पड़ सकता है बड़ा असर,,,,

रुड़की।
अनवर राणा।
उत्तराखण्ड प्रदेश गठन के बाद तीसरे विकल्प के रूप में जन्मी बहुजन समाज पार्टी को हाइकमान बसपा सुप्रीमो के द्वारा बाहरी जनाधार विहीन प्रदेश प्रभारियों की नियुक्ति होने से लगातार बसपा का ग्राफ यहां घटता जा रहा है।क्योंकि यहां के स्थानीय बसपा नेताओ ने बहुजन समाज पार्टी को मजबूत बनाने के लिये जो पसमांदा समाज को जोड़कर दलित मुस्लिम गठजोड़ बनाया ओर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो बहन मायावती के तिलक तराजू ओर तलवार नारे को साकार कर पार्टी को दिनरात मजबूती देने का काम किया उसी का नतीजा रहा कि यहां पर पार्टी के छह विधायक बनाने के साथ साथ दो बार बहुजन समाज पार्टी ने जनपद हरिद्वार के जिला पंचायत बोर्ड पर भी अपने दम पर सवर्णो के खिलाफ दलित मुस्लिम ओर पसमांदा समाज को साधकर कब्जा जमाया है।लेकिन हर बार जनाधार वहीन प्रभारियों की नई फ़ौज ने यहां बसपा को नुकसान पहुंचाकर भाजपा को मजबूती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिसका 2022 विधान सभा चुनाव व जिला पंचायत चुनाव में पार्टी को खमियाजा भुगतना पड़ा।बसपा संगठन के द्वारा जिला पंचायत चुनाव के टिकट वितरण में भी स्थानीय दो कद्दावर विधायको को कोई तरजी नहीं दी गयी ओर अब मिशन 2024 में जुटी बसपा के कार्यक्रमो से अलग रख बसपा को कमजोर करने का कार्य तो संगठन व प्रभारियों द्वारा किया ही जा रहा है,लेकिन हद तब हुई जब एक चर्चित निर्दलीय विधायक की पत्नी सोनिया शर्मा को बसपा में शामिल किया गया।तब प्रदेश प्रभारी इमरान मसूद ने इस प्रोग्राम में दोनो विधायक हाजी शहजाद व सरवत करीम अंसारी के शामिल न होने के बारे में मीडिया द्वारा पूछा गया तो उन्होंने बड़बोले अंदाज में जवाब दिया कि पार्टी का कार्यक्रम है किसी की क्या औकात है जो पार्टी से बड़ा हो यह बयान उन्होंने जानबूझकर विधायको के बारे में दिया जबकि विधायकों को इस कार्यक्रम से जानबूझ कर ही संगठन ने दूर रखा होगा ऐसा लगता भी है।क्योंकि अब संगठन नये कलेवर से सवर्ण को मौका देकर दलित मुस्लिम के वोट को इस्तेमाल करने के मूड में दिखाई दे रहा है यह तो आने वाला वक्त बतायेगा दलित ,वंछित, शोषित समाज की आवाज बुलंद करने वाली पार्टी से सवर्ण कितना जुड़ेगा लेकिन बसपा संगठन सवर्ण को जोड़कर अपने आप को मजबूत जरूर महसूस करता दिखाई दे रहा है।

उत्तराखंड