बीडीसी चुनाव हारे को बसपा प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है,लेकिन मुस्लिम कद्दावर तीन तीन बार जीते विधायको को अध्यक्ष बनाने में क्यों करती है गुरेज,,,

बीडीसी चुनाव हारे को बसपा प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है,लेकिन मुस्लिम कद्दावर तीन तीन बार जीते विधायको को अध्यक्ष बनाने में क्यों करती है गुरेज,,,

बीडीसी चुनाव हारे को बसपा प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है,लेकिन मुस्लिम कद्दावर तीन तीन बार जीते विधायको को अध्यक्ष बनाने में क्यों करती है गुरेज,,,

तो मुस्लिम नेता व अन्य पार्टियां क्यों लगाते है भाजपा पर अपनी उपेक्षा का आरोप,,,?

हरिद्वार ब्यूरो।

गुलबहार गौरी।

हाल ही में बसपा हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष आदित्य बृजपाल और उनके पिता एवं पूर्व विधायक झबरेड़ा हरिदास तथा पूर्व जिलाध्यक्ष रामकुमार राणा सहित प्रदेश प्रभारी नरेश गौतम पर पार्टी फंड का पैसा गबन करने का आरोप लगाते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया ।इनके निष्कासन की जानकारी पार्टी के प्रदेश प्रभारी समसुद्दीन राइन द्वारा प्रेस को जारी प्रेस नोट के द्वारा दी गई। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आदित्य की कमजोरी का खामियाजा जिला पंचायत चुनाव में भी साफ देखा गया था ।पार्टी हाईकमान ने भी उन पर कुछ ज्यादा ही विश्वास कर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी जबकि क्षेत्र में चर्चा थी कि जो अपनी विधानसभा से बीडीसी का चुनाव भी नहीं जीत पाया उसे हाईकमान ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कैसे दे दी थी। पहले शीशपाल उसके बाद अल्मोडा निवासी बी आर धोनी फिर आदित्य और अब दोबारा शीशपाल को अध्यक्ष बनाया जाना नई बोतल में फिर से पुरानी शराब भरा जाना ही माना जाएगा । लेकिन चुनावी वर्ष में भी मुस्लिम चेहरा लाने की कोशिश नहीं की गई । इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का नारा देने वाली पार्टी ने आजतक बीडीसी का चुनाव हारने वाले को भी प्रदेश अध्यक्ष बना दिया और जिस मुस्लिम समाज के वोटों के सहारे BSP ने कभी बुलंदियों को छुआ था उसी समाज के वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं को कभी भी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक नहीं पहुँचने दिया

उत्तराखंड गठन से पहले भी और उत्तराखंड गठन के बाद भी हरिद्वार या उत्तराखंड में BSP पार्टी को जो भी विधानसभा में सीटें प्राप्त हुई है उन सब में मुस्लिम वोटों के सहारे ही जीत मिली है क्योंकि जब जब भी मुस्लिम वोट BSP को नहीं मिला एक भी सीट नहीं निकल पायीं इसके बावजूद भी आज तक किसी भी मुस्लिम चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाया जाना समझ से परे हैं जबकि शहज़ाद विधायक जैसे क़द्दावर मुस्लिम नेता bsp में दशकों से मौजूद है जिनका वोट बैंक हरिद्वार ही नहीं आसपास के ज़िलों में भी भारी तादाद में मौजूद है इनके अलावा भी कई अन्य मुस्लिम चेहरे पार्टी में मौजूद हैं जिनके बारे में पार्टी ने कोई विचार नहीं किया । BSP पार्टी को मुस्लिम वोट थोक में दिया गया अगर ऐसी पार्टी संगठन में ज़िला स्तर और प्रदेश स्तर पर इस वर्ग को जगह नहीं दे सकती तो भाजपा जैसी पार्टी जिसे मुस्लिम वोट भी ना के बराबर देते हैं उसपर उपेक्षा का आरोप नहीं लगा सकते ।
तो क्या bsp भी मुस्लिम को सिर्फ़ एक वोट बैंक के रूप इस्तेमाल करती है अगर ये सच है तो फिर किसी भी मुस्लिम नेता को किसी अन्य पार्टी पर ये आरोप लगाने का कोई हक़ नहीं बनता कि अमुक पार्टी मुस्लिमों की उपेक्षा कर रहीं हैं

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