वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने दरगाह के दान के पैसे से जायरीनों के आराम को लगे जर्मन हेंगर में सजाया राजनैतिक व फिल्मी मंच,सीईओ बने मूकदर्शक,,,
कथित अंतरराष्ट्रीय संचालन कर्ताओ ने राजनैतिक व फिल्मी मंच को बार बार एलान कर धार्मिक मंच बनाने का किया प्रयास,,,
कलियर।
अनवर राणा।
पिरान कलियर 755 वा उर्स पर अव्यवस्थाओं ओर घोर अनियमितता के साथ दान के पैसे की बन्दरबांट ओर निजी शोंक में सस्ती लोकपिर्यता हासिल करने का भाजपा नेताओं व वक्फ बोर्ड अध्यक्ष की जिद से दरगाह की आय का नुकसान ज्यादा ओर आय कम करने का काम हो रहा है।इस बार वक्फ बोर्ड व दरगाह प्रबंधक पद पर आसीन मास्टरनी साहिबा के पति भाजपा नेता की जुगल बन्दी से भ्र्ष्टाचार व वित्तीय अनियमितता की भेंट चढ़ता जा रहा है। इस भारी अनियमितता व जायरीनों की असुविधा का नजारा वक्फ बोर्ड के दीगर सदस्यगण भी बारीकी से नजर लगाये देख रहे है ओर सीईओ वक्फ बोर्ड सय्यद सिराज उस्मान तो केम्प कर मूकदर्शक बने हुवे है पूरा तमाशा देख रहे है।””एक शाम साबीर पाक के नाम “”कार्यक्रम उस जगह पर जिद के चलते दो दिन से रात्रि के समय भाजपा नेताओं के जमावड़े के साथ चल रहा है जो जायरीनों की सुविधा के लिये बनाया गया है।इस गलत कृत्य व नई परम्परा को डालने के पीछे वक्फ बोर्ड दान के पैसे को खर्च करके भाजपा पार्टी में सस्ती लोकपिर्यता हासिल करने का जो कुंठित कार्य कर रहे है उसमें कुछ कथित अंतरराष्ट्रीय मंच संचालन कर्ता चापलूसी करने से पीछे नही हट रहे भले ही उनकी निजी पार्टी कोंग्रेस क्यों न हो।सूत्र बता रहे है कि इस कार्यक्रम को आगे भी तीन दिन चलाया जायेगा।ऐसे में उर्स में आने वाले जायरीन रात्रि में रेन बसेरा में रुकने में परेशान हो रहे है। दरगाह की दान की आय से पार्टी नेताओं व निजी परम्परा डालने के पीछे वक्फ बोर्ड चेयरमैन व दरगाह प्रबंधक मास्टरनी साहिबा के पति का क्या मकसद है यह तो वो स्वयं ही जान सकते है लेकिन दरगाह के दान के पैसे राजनीति की भेंट चढ़ाना कितना उचित होगा यह तो बोर्ड सीईओ ही जवाब दे सकते है।