*”उर्स 755 वां : नौ के सौ करने की कवायद पर मास्टरनी साहिबा जी…*

*”उर्स 755 वां : नौ के सौ करने की कवायद पर मास्टरनी साहिबा जी…*

*”उर्स 755 वां : नौ के सौ करने की कवायद पर मास्टरनी साहिबा जी…*

*राजनैतिक आकाओं को खुश करने के लिये नियम कायदे ताख पर रख दिया दरगाह की आय को नुकसान*

*”अनवर राणा:-रुड़की!*

*”क्या मिलिए ऐसे लोगो से जिनकी फ़ितरत छिपी रहे.. नकली चेहरा सामने आए,, असली सूरत छिपी रहे…..?* 1968 में आई फ़िल्म इज्ज़त का ये गीत कार्यालय में तैनात मास्टरनी साहिबा व उनके साथ हर कदम रहने वाले साहब पर सटीक बैठता है। भोली भाली सूरत और अक़ीदत का लबादा ओढ़े साहिबा ओर साहब लोगो को ईमानदारी की सनद पेश करने से भी नही चूकते। जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल विपरीत है। सूत्र बताते है कि श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर आमदनी में भी इज़ाफ़ा हो जाता है। ख़ास बात ये है कि साहब ओर साहिबा की शक्ल भले ही भोले लगते हो लेकिन दिमाग बड़ा शातिरों वाला पाया है।
जानकारी के मुताबिक़ दफ्तर में तैनात मास्टरनी साहिबा ओर उनके साथ साये की तरह काम कर रहे साहब इन दिनों फुले नही समा रहे है। और हो भी क्यों ना,, कुर्सी संभालते ही आमदनी का जरिया जो पैदा हो गया। बात यही नही खत्म हुई। साहिबा ओर साहब ने अपने शातिर दिमाग से नौ के सौ करने की कवायद शुरू की और उर्स की व्यवस्थाओं के नाम पर अवैध कार्यो को अंजाम दे किसी हद तक वह कामयाब भी हुए,, हालांकि सम्बंधित अधिकारियों की रिपोर्ट मास्टरनी साहिबा के गले की फांस जरूर बन सकती है,, लेकिन वो तब का तब देखा जाएगा, फ़िलहाल अवैध व दरगाह आय को नुकसान पहुंचाने वाले उर्स के दौरान अनेक कार्यो को कराकर मन मुताबिक चढ़ावा प्राप्त है तो बाद कि किसने जानी…. भीड़ के साथ चर्चाओं का बाजार भी गर्म है…..?

उत्तराखंड