कलियुग में भगवान का नाम ही जीव को भवसागर से पार कराने में समर्थ= सतीश चन्द्र शास्त्री

कलियुग में भगवान का नाम ही जीव को भवसागर से पार कराने में समर्थ= सतीश चन्द्र शास्त्री

कलियुग में भगवान का नाम ही जीव को भवसागर से पार कराने में समर्थ= सतीश चन्द्र शास्त्री

रुड़की।:

अनवर राणा।

पवित्र श्राद्ध पक्ष में प्राचीन शिव मन्दिर ढण्डेरा के पवित्र प्रांगण में हो रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के सप्तम दिवस पर व्यासपीठ से पूज्य पण्डित सतीश चन्द्र शास्त्री(कोठारी) के सानिध्य में कथा के माध्यम से पूज्य पंडित जी ने कहा कि सबके आनन्द का कारण केवल और केवल भगवान श्री कृष्ण हैं । भगवान के तत्व का वर्णन कर पाना हम सामान्य जनों के बस की बात नहीं है, जब तक भगवान स्वयं कृपा न करें तो और ना ही जीव श्रेष्ठ कार्यों में प्रवृत्त नहीं हो पाता । मनुष्यों की कामना स्वर्ग प्राप्ति की होती है , इसलिये वह भांति प्रकार के पुण्य कार्य करता है परन्तु हम को मोक्ष की कामना करनी चाहिये , क्योंकि मानव जीवन बहुत दुर्लभता से प्राप्त होता है । मानव को नित्य ही नियमपूर्वक भक्तियुक्त चित्त के साथ भगवन्नाम स्मरण , जप , आराधन करना चाहिये जिससे हमारे जीवन मे प्रभु की कृपा होगी । कलियुग में भगवान का नाम ही जीव को भवसागर से पार कराने में समर्थ है । सनातन धर्मावलम्बियों को सद्ग्रन्थों का पठन स्वाध्याय करना चाहिये। जिससे धर्म में हमारी बुद्धि दृढ होगी और हमारे जीवन में स्वार्थत्व छूटकर निःस्वार्थता आयेगी परोपकारिता आयेगी। भगवान वेदव्यास जी ने भी कहा है कि सबसे बड़ा पुण्य परोपकार ही है । सप्तम दिवस की कथा में पूज्य पंडित जी ने कंस उद्धार, भगवान का द्वारिकापुरी का निर्माण , भगवान के विवाहों का वर्णन ,सुदामा चरित्र ,यदुकुल का संहार, भगवान का स्वधाम गमन, श्रीदत्तात्रेय जी का चरित्र एवं परीक्षित मोक्ष के साथ कथा का समापन किया । इस अवसर पर मुख्य यजमान श्रीमती एव श्री अनिल पुण्डीर , अशोक पुण्डीर, पं कलित कोठारी, पं अजय बलूनी, पं बृजेश बडोला पं नितिन,कुकरेती , पं विवेक ग्वाड़ी , पं सुमित रतूड़ी, पं शुभम कैलखुरा , पं अरुण कोठारी संजीव कुशवाहा, सुभाष पुण्डीर , विजय चौहान , मित्तर सिंह चौहान, राहुल चौहान, आजाद चौहान, अमित राणा , प्रेम वल्लभ उप्रेती, राम सिंह पुण्डीर , एवं क्षेत्र की मातृशक्तियां उपस्थित रही ।

उत्तराखंड