मुहम्मद साहब की बेटी फातिमा जहरा की यौमे शहादत पर अंजुमन फ़रोग़ अज़ा की ओर से इस बार भी ज्वालापुर अहबाबनगर स्थित इमामबाड़ा में किया गया रक्तदान,,,

मुहम्मद साहब की बेटी फातिमा जहरा की यौमे शहादत पर अंजुमन फ़रोग़ अज़ा की ओर से इस बार भी ज्वालापुर अहबाबनगर स्थित इमामबाड़ा में किया गया रक्तदान,,,

मुहम्मद साहब की बेटी फातिमा जहरा की यौमे शहादत पर अंजुमन फ़रोग़ अज़ा की ओर से इस बार भी ज्वालापुर अहबाबनगर स्थित इमामबाड़ा में किया गया रक्तदान,,,

हरिद्वार:

पैगंबर मुहम्मद साहब की बेटी फातिमा जहरा की यौमे शहादत पर अंजुमन फ़रोग़ अज़ा की ओर से इस बार भी ज्वालापुर अहबाबनगर स्थित इमामबाड़ा में रक्तदान शिविर लगाया गया। शिविर में स्थानीय मुस्लिम युवाओं, महिलाओं के अलावा सर्वधर्म के रक्तवीरों ने बढ़चढ़ रक्तदान करते हुए इंसानियत का फर्ज निभाया और बीबी फातिमा जहरा की शहादत को याद किया। शिविर में जरूरतमंदों की मदद के लिए 41 यूनिट रक्त इकट्ठा किया गया। इमामबाड़ा में तीन दिन तक मजलिस भी की गई। जिसमें मौलाना मोहम्मद अब्बास साबरी ने बीबी फ़ातिमा ज़हरा की जीवन पर रोशनी डाली।

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बेटी का अहतराम करते थे मुहम्मद साहब

मौलाना मोहम्मद अब्बास साबरी ने कहा कि फातिमा जहरा बहुत सब्र करने वाली थी। मुहम्मद साहब भी अपनी बेटी की बहुत इज्जत व अहतराम करते थे। मुहम्मद साहब ने दूसरों को भी यह पैग़ाम दिया कि बेटी का सम्मान किस तरह करना चाहिए और घर में बेटी का क्या मक़ाम होता है। बताया कि मुहम्मद साहब के दुनिया से रुखसत होने के 90 दिन तक उनकी बेटी फातिमा जहरा जीवित रही। वह हर वक़्त अपने बाबा को याद करते करते रोती रहती थी। मुहम्मद साहब के दुनिया से जाने के बाद उनको बहुत सताया गया। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीन जमदुस्स सानी को मुहम्मद साहब की लाडली बेटी बीबी फ़ातिमा ज़हरा इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। अंजुमन फ़रोग़ ए अज़ा के अध्यक्ष हैदर नकवी ने बताया कि बीबी फ़ातिमा ज़हरा की शहादत को याद करते हुए हर साल रक्दान दान शिविर का आयोजन करती है।

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इन्होंने किया रक्तदान

शिविर में हैदर नक़वी, सचिव फ़िरोज़ ज़ैदी, कोषाध्यक्ष एहतेशाम अब्बास, दिलशाद नक़वी, बिलाल क़मर, इक़्तेदार नक़वी, मौलाना मौहम्मद अब्बास साबरी, असमा परवीन, फ़िरोज़ खान,  वाजिद, कृष्णा, नवरीन ज़हरा, फैसल कुरैशी, मोहम्मद मुज्तबा, मुमताज़ फ़ातिमा, अब्दुल रहमान, मेहविश काज़मी, ज़हूर हसन, बिलाल, हैदर खान, आसिफ, अरशद, नरगिस, इक़बाल, एहतेशाम, गुलफिशा, इस्तेखार, इस्तेखार अली, एहसान, अबुल हसन, रूपेश कुमार, बशर, जमशेद, अली फहीम, अली रज़ा, रमन हंस, नोमाम अंसारी, फरमूद हसन, मोनिस अली, तस्लीम, अमान अली, ज़ीशान, हादी हसन आदि ने रक्तदान किया।

—————–हरिद्वार: पैगंबर मुहम्मद साहब की बेटी फातिमा जहरा की यौमे शहादत पर अंजुमन फ़रोग़ अज़ा की ओर से इस बार भी ज्वालापुर अहबाबनगर स्थित इमामबाड़ा में रक्तदान शिविर लगाया गया। शिविर में स्थानीय मुस्लिम युवाओं, महिलाओं के अलावा सर्वधर्म के रक्तवीरों ने बढ़चढ़ रक्तदान करते हुए इंसानियत का फर्ज निभाया और बीबी फातिमा जहरा की शहादत को याद किया। शिविर में जरूरतमंदों की मदद के लिए 41 यूनिट रक्त इकट्ठा किया गया। इमामबाड़ा में तीन दिन तक मजलिस भी की गई। जिसमें मौलाना मोहम्मद अब्बास साबरी ने बीबी फ़ातिमा ज़हरा की जीवन पर रोशनी डाली।
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बेटी का अहतराम करते थे मुहम्मद साहब
मौलाना मोहम्मद अब्बास साबरी ने कहा कि फातिमा जहरा बहुत सब्र करने वाली थी। मुहम्मद साहब भी अपनी बेटी की बहुत इज्जत व अहतराम करते थे। मुहम्मद साहब ने दूसरों को भी यह पैग़ाम दिया कि बेटी का सम्मान किस तरह करना चाहिए और घर में बेटी का क्या मक़ाम होता है। बताया कि मुहम्मद साहब के दुनिया से रुखसत होने के 90 दिन तक उनकी बेटी फातिमा जहरा जीवित रही। वह हर वक़्त अपने बाबा को याद करते करते रोती रहती थी। मुहम्मद साहब के दुनिया से जाने के बाद उनको बहुत सताया गया। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तीन जमदुस्स सानी को मुहम्मद साहब की लाडली बेटी बीबी फ़ातिमा ज़हरा इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। अंजुमन फ़रोग़ ए अज़ा के अध्यक्ष हैदर नकवी ने बताया कि बीबी फ़ातिमा ज़हरा की शहादत को याद करते हुए हर साल रक्दान दान शिविर का आयोजन करती है।
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इन्होंने किया रक्तदान
शिविर में हैदर नक़वी, सचिव फ़िरोज़ ज़ैदी, कोषाध्यक्ष एहतेशाम अब्बास, दिलशाद नक़वी, बिलाल क़मर, इक़्तेदार नक़वी, मौलाना मौहम्मद अब्बास साबरी, असमा परवीन, फ़िरोज़ खान, वाजिद, कृष्णा, नवरीन ज़हरा, फैसल कुरैशी, मोहम्मद मुज्तबा, मुमताज़ फ़ातिमा, अब्दुल रहमान, मेहविश काज़मी, ज़हूर हसन, बिलाल, हैदर खान, आसिफ, अरशद, नरगिस, इक़बाल, एहतेशाम, गुलफिशा, इस्तेखार, इस्तेखार अली, एहसान, अबुल हसन, रूपेश कुमार, बशर, जमशेद, अली फहीम, अली रज़ा, रमन हंस, नोमाम अंसारी, फरमूद हसन, मोनिस अली, तस्लीम, अमान अली, ज़ीशान, हादी हसन आदि ने रक्तदान किया।
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उत्तराखंड