हजारों लावारिस लाशों के दाह संस्कार करने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी ने सरवट कब्रिस्तान में भीख मांगने वाले मृतक को  किया सुपुर्दे खाक,,,

हजारों लावारिस लाशों के दाह संस्कार करने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी ने सरवट कब्रिस्तान में भीख मांगने वाले मृतक को किया सुपुर्दे खाक,,,

हजारों लावारिस लाशों के दाह संस्कार करने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी ने सरवट कब्रिस्तान में भीख मांगने वाले मृतक को किया सुपुर्दे खाक,,,
रुड़की/मुजफ्फरनगर।
क्रांतिकारी शालू सैनी को शहर कोतवाली से मिली जानकारी के अनुसार सड़क पर भीख मांगकर अपना गुजारा करने वाले मुस्लिम समुदाय के मृतक का विधि-विधान से अपने हाथों से सुपुर्दे खाक किया।लावारिसों की वारिस के नाम से जानी जाने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी, राष्ट्रीय अध्यक्ष-साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट ने पुलिस की राह आसान कर अपने निजी खर्चे से करती है। लावारिस लाशों के दाह संस्कार अब हर थाने से लावारिसों के दाह संस्कार के लिए शालू सैनी को संपर्क किया।कोरोना महामारी के समय जब अपने ही अपनों से दूर भाग रहे थे तभी इंसानियत की सीख दी,फिर क्या था लावारिस लाशों को ढोने से लेकर अंतिम संस्कार,अस्थि विसर्जन करने के लिए सामने आयी क्रांतिकरी शालू सैनी किसी ट्रेन में सफर के दौरान दम तोडा हो या किसी और कारण हुई हो मौत क्रांतिकारी शालू सैनी अपने हाथों से उनके अंतिम संस्कार या उन्हें दफनाने के लिए हमेशा तैयार रहती है।शालू सैनी सिंगल मदर है और सड़क पर कपड़ों का ठेला लगाकर अपने बच्चों की जिम्मेदारी पूरी करने के कामकाजी समय में से कुछ समय सेवा में देती है।शालू सैनी ने बताया की लावरिसों,जरूरतमंद व दूरदराज के मृतकों के अंतिम संस्कार करना अपने जीवन की पहली प्राथमिकता बना ली है।शालू सैनी अंतिम संस्कार का खर्चा अपने पास से व साथियों के सहयोग एंव समाज से सहयोग मांग कर करती है,वे साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।वृद्ध महिलाओं की सेवा करना,पीड़ित महिलाओं की आवाज बनकर सामने आना व महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए तलवार,लाठी सिखाती हैं।महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निशुल्क सिलाई सेंटर भी चलाती है।उनके प्रयास से वृद्ध आश्रम निर्माणधीन है।

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