दरगाह मामूर (बंद) होने के बाद भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता को दरगाह खोलकर हाजिरी कराने का गद्दीनशीन के चेले चपाटो ने किया विरोध,,,

दरगाह मामूर (बंद) होने के बाद भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता को दरगाह खोलकर हाजिरी कराने का गद्दीनशीन के चेले चपाटो ने किया विरोध,,,

दरगाह मामूर (बंद) होने के बाद भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता को दरगाह खोलकर हाजिरी कराने का गद्दीनशीन के चेले चपाटो ने किया विरोध,,,
कलियर:
अनवर राणा
पिरान कलियर स्थित दरगाह साबिर पाक परिसर में उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब दरगाह मामूर (बंद) होने के बाद भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता को दरगाह खोलकर हाजिरी कराई जा रही थी। कुछ अकीदतमंदों ने इसका विरोध किया, देखते ही देखते दरगाह शरीफ में हंगामा खड़ा हो गया। अकीदतमंदों का आरोप है कि दरगाह बंद होने के बाद किसी भी वीआईपी, वीवीआइपी के लिए दरगाह नही खोली जा सकती, जबकि कुछ स्वार्थी कर्मचारियों ने नियमविरुद्ध जाकर आस्थावान लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है। काफी देर गहमागहमी के बाद किसी तरह मामला शांत हुआ, ये मामला चर्चाओं का विषय बना हुआ है।
जानकारी के मुताबिक रविवार को देर शाम भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री सैय्यद शाहनवाज हुसैन पिरान कलियर पहुँचे थे, जिसके साथ उत्तराखंड वक्फबोर्ड चेयरमैन शादाब शम्स, हज कमेटी चेयरमैन खतीब आलम, पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल, भाजपा नेता बेहरोज आलम समेत अन्य पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे। बताया जा रहा है कि दरगाह मामूर (बंद) होने के बाद कुछ कर्मचारियों ने दरगाह का ताला खोलकर सैय्यद शाहनवाज हुसैन को जियारत कराई, जिसकी खबर सज्जादा परिवार व कुछ अकीदतमंदों को लगी तो वह भी दरगाह शरीफ में पहुँच गए, नियमविरुद्ध हाजिरी कराने पर हंगामा शुरू हुआ देखते ही देखते दरगाह शरीफ और दरगाह कार्यालय में भाजपा नेताओं और सज्जादा परिवार व अकीदतमंदों के बीच खूब गहमागहमी हुई। कुछ लोगो ने मौके की वीडियो भी बनाई जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। अकीदतमंदों का कहना है कि दरगाह शरीफ में लाखों करोड़ों लोगों की आस्था है ऐसे में दरगाह शरीफ की गरिमा सबसे पहले है, जो नियम है वो सबके लिए समान है इसलिए किसी को भी ये हक़ नही की वह नियमविरुद्ध दरगाह में दाखिल हो। दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज कुद्दुसी साबरी का कहना है कि दरगाह शरीफ की आस्था पहले है किसी को भी दरगाह मामूर होने के बाद जियारत नही कराई जा सकती। उन्होंने बताया पूर्व में देश के कई बड़े नेता उस समय आए है जब दरगाह मामूर हो चुकी थी तब भी उनके लिए दरगाह नही खोली गई, और वह बाहर से ही हाजिरी कर लौट गए। ऐसा एक बार नही कई बार हुआ जब वीआईपी, वीवीआइपी दरगाह शरीफ आए हो और दरगाह मामूर (बंद) हो चुकी हो तब उन सबने बाहर से ही हाजिरी की, किसी वीआईपी के लिए दरगाह खोलना और कतई उचित नही है ये लाखो करोड़ो लोगो की आस्था से खिलवाड़ है।

उत्तराखंड