मकान बंटते सुनें, दुकाने बंटती सुनी थीं, ज़मीनों के बीच भी दीवारें सुनीं थीं
मसलक की आग ने आज मस्जिदों में भी दीवार करवा दी,
मस्जिद बांटने से पहले हम मर क्यो ना गये अफसोस अफसोस
लानत है हम पर हजार लाख बार लानत कि इतने सख्त इम्तिहान के दौर मे हम ऐसी हरकतें करते है जिससे ना अल्लाह राजी होगा ना ही बनदगी अदा होगी मामला उत्तर प्रदेश के ज़िला बिजनौर के मखवाडा गाँव में सडक किनारे बनी मस्जिद ए मोहम्मदी, दो भाईयों बरेलवी और देवबंदी के बीच तक़सीम हो गई है और मस्जिद के बीचों-बीच दीवार कर दी गई है।
अपने अपने मसलक को थाल में रखकर अब चाटो
ऐ बरेलवियों तुम्हें भी सलाम ऐ देवबंदियों तुम्हें भी सलाम
फ़िरक़ा बन्दी है कहीं और कहीं ज़ातें हैं
क्या ज़माने में पनपने की यहीं बातें हैं