दरगाह साबिर पाक की काफी जमीन मुक्दमा चलने के दौरान ही अपनी बताते हुए वक्फ बोर्ड के बेईमान इंस्पेक्टर मोहमद अली व कारिंदों से साज खा कर बेची गयी । दरगाह कर्मियों के खिलाफ हुई कार्यवाही रुकवाने को सी ई ओ वक्फ बोर्ड के नाम पर करता है अवैध धन उगाही
पिरान कलियर।(बुरहान राव)
ऐसे रहनुमाओं से बेहतर है सडक के पत्थर
हर मुसाफिर को जो मंजिल का पता देते है
कलियर ।
विश्व प्रसिद्ध दरगाह पिरान कलियर की वक्फ बोर्ड मे दर्ज दरगाह साबिर पाक के नाम हजारों बिघा जमीन भ्रष्ट वक्फ निरीक्षक मोहमद अली की मिली भगत से सज्जादा नशीन परिवार आदि पर चली गयी और कुछ लोगो ने काफी जमीन मुक्दमा चलने के दौरान ही अपनी बताते हुए वक्फ बोर्ड के बेईमान इंस्पेक्टर व कारिंदों से साज खा कर बेच भी ली। केवल साबिर पाक का सालाना उर्स/मेला लगने वाली ही जमीन बची थी। इन लोगो ने वक्फ बोर्ड मे बैठे बेईमान वक्फ निरीक्षक मोहमद अली जो हर समय पूर्व सी ई ओ अलीम अंसारी का साया बनकर हफ्ता में दो दिन कलियर दरगाह कार्यालय में बैठकर वक्फ की आय को नुकसान का अमली जामा पहनकर भृमित कर किसी भी भ्र्ष्टाचार से सम्बंधित कार्य को अवैध धन उगाही कर निपटने कार्य करता था ।तथा वक्फ निरीक्षक के द्वारा ही अधिकारी की सांठगांठ का पूरा लाभ उठाते हुए मेले की जमीन का बदला करने की कानूनी कार्यवाही शुरूआत की गई । जिसमे एक – दो अपवाद को छोड कर वक्फ बोर्ड निरीक्षक मोहमद अली व दरगाह प्रबंधन मे रहे भ्रष्ट व गैर जिम्मेदार कारिंदों की कारगुजारियों के चलते अब दरगाह की मेला जमीन भी दरगाह के हाथ से जाने की कानूनी स्थिति बन चुकी है। ऐसा अचानक एक दिन मे हो गया हो, ऐसा नही है। इसमे एक लम्बा समय लगा है।जिसका खुलासा हाल ही मे 11 सितम्बर 2019 को जिलाधिकारी हरिद्वार द्वारा दरगाह की व उसके पास की जमीन के सम्बंध मे सभी पक्षों व सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को अपना-अपना पक्ष रखने को बुलाया था। बैठक मे उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की और से एक वक्फ निरिक्षक मोहमद अली व दरगाह प्रबंधन की और से एक टाईपिस्ट खाली हाथ हिलाते पहुंचे। जबकि शासन को 9 नवम्बर 2018 में ही वक्फ निरीक्षक द्वारा मिलीभगत कर सी ई ओ वक्फ बोर्ड से विपक्षियों की सेटिंग कराकर भ्रामक रिपोर्ट दिलाई जा चुकी होने की चर्चा भी जोर से चल रही है ।जिसको आधार मानकर ही जिलाधिकारी ने अपनी जमीन की पैमाइश व हदूद कायम करने के निर्देश देकर बैठक सम्पन्न की बताई जा रही है। जबकि मेला जमीन का एक विवाद चकबन्दी विभाग मे आज भी विचाराधीन है। कहने का मतलब यह है कि करोड़ों रुपये की मेला भूमि, जिसके चले जाने के बाद पूरे साल मे लगाने वाले चार मेले कहा लगेंगे यह विचारनिय मुद्दा है। इतना महत्वपूर्ण मामला होने के बाद भी दरगाह प्रबंधन व वक्फ बोर्ड निरीक्षक जिसको जमीनों से सम्बंधित पूरी जानकारी है ,मक्कारी वाली चुप्पी साधे बैठा है। इस वर्ष दरगाह के वाषिक ठेके अभी तक नही हुए जो मार्च 2019 मे हो जाने चाहिए थे इसके पीछे भी दरगाह प्रशासन व वक्फ निरीक्षक की योजना बताई जा रही है क्योंकि दरगाह के हर कर्मचारियो के द्वारा किये गए गोलमाल में भी वक्फ निरीक्षक का पूरा हिस्सा होना बताया जा रहा है। इस वक्फ निरीक्षक की कार्यशैली से कई करोड़ रुपये का दरगाह को नुकसान पहुंच चुका है साथ ही दरगाह क्षेत्र मे अवस्था फैली हुई है। जिसका खमयाजा जायरीन को उठाना पड रहा है। इस सब स्थिति से वक्फ बोर्ड चेयरमैन, मैम्बर व सी.ई.ओ. पूर्ण रूप से वाकिफ है। वक्फ बोर्ड का यह कहकर दरगाह कलियर की व्यवस्था प्रशासन के पास है अपना पिंड छुडाना जनता से धोखा है। वक्फ बोर्ड सी.ई.ओ, प्रशासन के साथ व्यवस्था मे शामिल है। हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड चेयरमैन व सी.ई.ओ को कई वर्ष पूर्व दरगाह का आडिट कराने व बकायादारो से धन वसूलने का आदेश दिया हुआ है। जिस पर आज तक कोई सार्थक कार्यवाही नही हुई। इन सब हालात को देख कर दरगाह हित मे यही कहा जा सकता है। कि
जीनसे फुलों का तक्दूस न सभाला जाये,
ऐसे ना अहलो को गुलशन से निकाला जाये।

