उर्स की तैयारियां अधूरी: दुकान नही लगी,रशीद नही कटी,दुकानों को ब्लेक करने वाले स्किर्य ,पेयजल स्टेंडपोस्ट नही , फिर भी दरगाह प्रबंधन औचित्यहीन फाइल बनाने की जुस्तजू जारी,समय कम होने पर मेले के अवसर पर करना उचित है,, ,
पिरान कलियर।
अनवर राणा।
जिला प्रशासन के सामने जहां साबिर पाक मेले को सकुशल सम्पन कराने की जिम्मेदारी है वही दरगाह कार्यालय स्टाफ कार्यवाहक ए एस डी एम को भृमित कर पूरे साल में निपटने वाले कार्यो की फाइल बनाकर पास करने की जुस्तजू में लगे है ताकि उर्स की आड़ में अवैध धन उगाही की जाए जबकि कुछ कार्य ऐसे है जो उर्स के समय में करना उचित भी नही ओर पूरे करने के लिये समय भी शेष नही बचा है।जैसे कर्मचारियो की वर्दी,जैसे कर्मचारियो की वर्दी,मस्जिद के लिये शफे,पानी आपूर्ति का समान ,यह ऐसे कार्य है जिन्हें पूरे साल में तो कराया नही गया ओर सबसे बड़े शर्म की बात यह है की आज भी 24 घण्टे पानी की सप्लाई उपलब्ध नही है।मेले में आम जायरीन के लिये पेयजल की स्टैंड पोस्ट जल निगम द्वारा लगाए जाते है , पानी आपूर्ति सुपरवाइजर फिर कोनसा समान अब मेले में किस चीज के लिये खरीदवाने चाहता है ये समंझ से पर है।इसी प्रकार मस्जिद में जाकर देखा जा सकता है की शफे पूरी है रमजान माह में खरीदकर लायी गयी थी ,ओर एसपेयर के लिये अगर शफे चाहिये भी तो पूरे साल में कभी भी खरीदी जा सकती है ।रही कर्मचारियो की वर्दी तो अभी पिछले साल दरगाह दफ्तर में बिना आदेश के भेजी गयी वर्दी जैसी पोशाक का मामला अभी तक सुलझा नही है , कि किसने वर्दी का आदेश दिया था ,ओर वे लगभग सो वर्दी कहाँ गयी।चूंकि कर्मचारियो को कोई वर्दी नही दी गयी ।जब पूरा एक साल बिना वर्दी के गुजर गया तो अब चार दिन उर्स के चार दिन के लिये ही वर्दी की क्या जरूरत आ गयी है।लेकिन दरगाह दफ्तर के सुपरवाइजर अवैध कमाई का कोई मौका चूकना नही चाहते चाहे इसके लिये इन कर्मचारियो को शाम दाम दंड भेद किसी भी सूरत में धोखा क्यों न देना पड़े।अब देखना यह है कि कार्यवाहक ए एस डी एम महोदय इन धोखे बाज चन्द दरगाह दफ्तर के सुपरवाइजरों की चाल को पकड़कर इनके अरमानों पर पानी फेरते है या फिर अधिकारी को गुमराह करने में ये चालक भृष्ट कर्मी कामयाब हो पाते हैं।

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