बसपा पुराने ढर्रे पर चलकर कुनबा बढ़ाने के बजाय कार्यकर्ताओ को दिखा रही बाहर का रास्ता,,,,।
पूर्व विधायक हाजी सहजाद व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चो0 राजेन्द्र दलित मुस्लिम पिछड़ा की रणनीति पर बसपा की बढ़ाना चाहते है ताकत,,,,।
रुड़की
अनवर राणा।
उत्तराखण्ड प्रदेश में 2002 में तीसरे विकल्प के रूप में स्थापित हुई बहुजन समाज पार्टी को जनपद हरिद्वार ही नही पूरे प्रदेश में जन समर्थन हासिल हो रहा था।यही कारण था कि उस वक्त सात से आठ विधायक बसपा पार्टी से ही निर्वाचित हुवे थे।लेकिन धीरे धीरे व्यक्तिगत कारणों के चलते अधिकतर विधायको में छिड़ी वर्चस्प की लड़ाई ने बसपा को रसातल में पहुंचाया है इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता। दलित मुस्लिम व अन्य जनता के गठजोड़ से उत्तराखंड में दो मुस्लिम तेली बिरादरी के विधायकों को दस साल तक लगातार विधायक बनाने का काम हरिद्वार की जनता ने किया।लेकिन जनता को बेवकूफ समझकर इन विधायकों की बलि भी उनके कर्मों व बिरादरी की नम्बरदारी के कारण ही हुई। बसपा के मुस्लिम चेहरा कहे जाने वाले कद्दावर नेता पूर्व विधायक हाजी सहजाद का जनसमर्थन उत्तराखण्ड में काफी होने के बावजूद बिरादरी की नाराजगी के चलते कलियर सीट पर लगातार दो बड़ी हार हुई है ,ओर पार्टी ने भी पूर्व विधायक को येन केन प्रकारेण दो या दिन बार पार्टी से निष्काषित किया है। अब फिर हाजी सहजाद को पार्टी में शामिल कर आगामी जिला पंचायत चुनाव में पार्टी का दमखम दिखाने की जिम्मेदारी भी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गुज्जर नेता चो0 राजेन्द्र सिंह आदि लोगो को दिया गया है। जबकि जिला पंचायत की कुर्सी से चो0 राजेन्द्र सिंह को बेदखल कराने में सहजाद ने भाजपा के सम्बन्धो के कारण अहम भूमिका निभाई है। लेकिन अब बसपा को दोनों ही कद्दावर नेता कितना मजबूत करेंगे यह देखने वाली बात होगी। कुछ भी हो अपनी गोटी फिट करने के लिये बसपा उत्तराखण्ड में रोजाना बाहर व भीतर का खेल चल रहा है।ऐसे में अभी हाल में अपने अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले बिजेंद्र,भागमल,मुकर्रम,जयंत को पार्टी से बाहर किया गया है ओर अभी ओर भी निष्कासन होने बाकी बताये जा रहे है।ऐसे में गुटबाजी का संदेश जनता में विधान सभा चुनाव से पूर्व ही पहुंचने से बसपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।