भ्र्ष्टाचार के कालचक्र में फंसा श्रद्धालुओ के लिये जारी लंगर,,,।
हमेशा से परम्परा के अनुसार लंगर के बंटने वाले समय में किसने ओर क्यों कि तब्दीली,,,।
रुड़की/कलियर
अनवर राणा
दुनिया के अनेक मुल्कों में मशहूर दरगाह साबिर पाक कलियर का बड़ा मुकाम होने के साथ ही यहां पर श्रद्धालुओं के लिये दो वक्त बंटने वाले साबरी लंगर का भी बहुत बड़ा मर्तबा है।लेकिन दरगाह कार्यालय के द्वारा बिना किसी वजह व अधिकारी के आदेश के ही लंगर की परंपरा के अनुसार बंटने वाले साबरी लंगर के समय मे अपनी सुविधा के अनुसार फेर बदल कर शाम बाद नमाज मगरिब के बाद बंटने वाले लंगर को 3 बजे व सुबह/दोपहर 12 बजे बंटने वाले लंगर को 10 बजे से बांटने काम किया जाना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।लोगो का कहना है कि 10 से 12 बजे तक बंटने वाले लंगर का बचा हुआ समान शाम 3 बजे बंटने वाले लंगर में शामिल कर बांटने का काम किया जा रहा है, जो परम्परा के खिलाफ कार्य दरगाह के सुपरवाइजर कर रहे है।अब आप ही अंदाजा लगा सकते है कि दो समय के लंगर का गेप कम होने से कितने श्रद्धालु लंगर ले सकते है।इस कार्य को कर सुपरवाइजर व दरगाह प्रबंधतंत्र रोजाना लंगर में बनने वाली सामग्री को कागजो में 3 कुंतल 10 किलो चढ़ाकर मौके पर कम सामग्री बनाने का काम कर भारी गोलमाल करने में लगे हुवे है,जिससे दरगाह की आय को प्रतिमाह लाखो रुपये का नुकसान दरगाह प्रबंधतंत्र द्वारा अधिकारियों को भृमित कर किया जा रहा है।