चर्चाएं: बेशकीमती जमीन को लेकर सेटेलमेंट…
विरोधकर्ताओं के सुर ढीले, नियम कायदों को लेकर फस सकता है पेंच..
अनवर राणा/पिरान कलियर-रुड़की
पिरान कलियर: बेशक़ीमती जमीन के मामले को लेकर प्रशासनिक तौर पर कब्जा देने और विरोधकर्ताओं के बीच के विवाद पर मानो विराम सा लग गया है। जमीन को लेकर क्षेत्र में चर्चाएं जोरो पर है सत्यता क्या है इसकी जानकारी अभी खुलेतौर पर आमजनमानस के बीच नही है। चर्चाएं है कि जमीन पर मालिकाना हक बताने वाले और विरोधकर्ताओं के बीच किन्ही बातों को लेकर सेटेलमेंट हो चुका है, चर्चाएं ये भी है कि अब इस बेशकीमती जमीन को मालिकाना हक रखने वाले लोग सम्बंधित विभाग को ही औने-पौने दामो में ही बेचेंगे, बहरहाल जमीन के मामले को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है और सच्चाई अभी गर्भ में छिपी है।
आपको बता दे पिछले लम्बे अरसे से बेशकीमती जमीन को लेकर एक पक्ष और सम्बंधित विभाग के बीच मुकदमेबाजी चली आरही है। उन्ही के बीच कुछ जिम्मेदार लोग जमीन को बचाने की कवायद लेकर मैदान में कूदे, और संघर्ष जारी हुआ। काफी समय तक गहमागहमी के बाद हाल ही में उक्त जमीन को न्यायालय के फैसले का हवाला देकर प्रशासनिक तौर पर एक पक्ष को कब्जा दिए जाने की चर्चाएं आम हुई। तब जमीन को बचाने वाली टीम ने चेतावनी भरे लहजे में जमीन पक्षीय को ललकारा और किसी भी सूरत में जमीन को बेचने का विरोध किया। इसके साथ ही अन्य मसलो में दखल की चेतावनी दी। अब शुरू हुआ चर्चाओं का खेल,, क्षेत्र ने चर्चाओं का बाजार गर्म हुआ तो तरह तरह की बाते सामने आने लगी। चर्चाएं है कि मालिकाना हक बताने वाले और जमीन बचाने वालो के बीच किन्ही बातों को लेकर सेटेलमेंट हुआ, जिसमे मालिकाना हक रखने वालों ने आश्वासन दिया कि जमीन सम्बंधित विभाग को ही दी जाएगी, जिसके एवज में विरोधकर्ताओं ने अपने विरोध के सुर ढीले किए। इस बात में सच्चाई कितनी है ये तो पक्षीय लोग ही जाने लेकिन इन दिनों जमीन को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है। ताज्जुब की बात ये है कि जिस विभाग के एक्ट में जमीन दान लेने का ही और खरीदने का प्रावधान ना हो वो विभाग जमीन किस नियम से लेगा, और जमीन बचाने का सुर अलापने वाले लोग इस बात पर कैसे सन्तुष्ट हो सकते है ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा…?