अपनो से पार पाना क्या हाजी फुरकान के सामने है बड़ी कठिन चुनोतियाँ,,,,?,

अपनो से पार पाना क्या हाजी फुरकान के सामने है बड़ी कठिन चुनोतियाँ,,,,?,

कार्यकर्ताओं व ठेकेदारों के बीच फँसा कलियर विधान सभा क्षेत्र का वोटर,,,

हाजी फुरकान के सामने कठिन चुनोतियाँ,,,,

रुड़की/कलियर
अनवर राणा
पिरान कलियर विधान सभा क्षेत्र के दो टर्म के विधायक की हाइट्रिक में कुछ निधि के ठेकेदारों का मामला भी इस समय बढ़चढ़ कर सामने आ रहा है।जबकि जाति वर्ग से ऊपर उठकर हाजी फुरकान अहमद ने इस क्षेत्र के विकास कार्यो को करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी जैसा वो स्वयं भी अपने कार्यो का बखान जनता के सामने कर रहे है।लेकिन इसके बावजूद भी कबीलो के मुखियाओं ओर वोट व निधि के ठेकेदारों की वजह से क्षेत्र में कुछ हद तक नाराजगी होना स्वाभाविक है ।इस तरह की नाराजगी चुनाव के समय प्रत्यासी के सामने आना भी लाजमी है क्योंकि जो चन्द गली मोहल्लों के ठेकेदार इस जनता के वोट की बदौलत पांच व दस साल विधायक की मलाई व निधि के कार्यो को करते है उन्हें जनता की दुखदर्द से कोई वास्ता नही रहता ओर चुनाव के समय इन सब बातों से प्रत्यासी को दोचार होना पड़ता है ओर इन गुल्लक भरने के ठेकेदारों की पोल भी प्रत्यासी के सामने उस समय खुलती है जब वो वोट प्राप्त करने दोबारा से जनता के बीच जा कर जनसमर्थन मांगता है।इस बार भी पहले चुनाव की तरह इन निधि ठेकेदारों के गली मोहल्लों के वोटर दूसरे पार्टी के नेताओ के झंडे व कार्यक्रम कराकर इन नेताओं की पोल खोलकर अपना सीधा सम्पर्क बनाने में लगे है,जिस कारण इन बड़बोले कथित नेताओ/ठेकेदारों को मुंह की खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।कुछ तो अपने परिवार ,गली ,मोहल्लों में वोट मांगने की बजाय दूसरे गांव व दूसरी बिरादरी के वोट को सीधा करने का ढोंग विधायक के फोन पर रचकर अपनी इज्जत बचाकर भृमित करने में ही अपना समय व्यतीत कर रहे है।अब बेचारा विधायक ही दिनरात पड़ रही बरसात में इन कथित नेताओ/निधि ठेकेदारों के परिवार व गली मोहल्लों के वोटरों के पास जाकर आगे से ऐसा नही होने की बात पर पूर्व की भांति ही सहमत कर रहा है।अब देखना यह है कि जो लोग विधायक फुरकान अहमद को भी अपने से कम जानकार मानकर भृमित कर मलाई पूरे पांच साल चाटते है वो क्यों जनता के बीच स्वयं जाकर अपने गली मोहल्लों के वोटरों को नही समझा पा रहे है।क्या ये इस तरह के ठेकेदार पांच साल विधायक का घेरा लगाकर सिर्फ निधि व मलाई चाटने के लिये ही है ओर जनता सिर्फ वोट देने के लिये है।

उत्तराखंड