लाइसेंस धारक के लिए एक तरफ़ कुआँ , दूसरी तरफ़ खाई,,,सरकार हथियार टेस्टिंग की दे सुविधा,,,

लाइसेंस धारक के लिए एक तरफ़ कुआँ , दूसरी तरफ़ खाई,,,सरकार हथियार टेस्टिंग की दे सुविधा,,,

लाइसेंस धारक के लिए एक तरफ़ कुआँ , दूसरी तरफ़ खाई,,,सरकार हथियार टेस्टिंग की दे सुविधा,,,

लाइसेंस धारकों के लिये खानपुर विधायक उमेश शर्मा को उठाने चाहिये कदम,,,

रुड़की बुलेटिन ब्यूरो
मौ.गुलबहार गौरी।

देश भर में जहां हर्ष फ़ायरिंग क़ानूनन अपराध है और होना भी चाहिए क्योंकि शादी समारोह हो या भीड़ के जश्न में फ़ायरिंग करने से कोई बड़ा हादसा होना , यहाँ तक की व्यक्ति की मौत जैसे मामले भी अक्सर देखने को मिलते रहते हैं ।
ऐसे हादसों को कम करने के कोई ठोस प्रयास सरकार की ओर से कभी नज़र नहीं आये बस हादसे के बाद मुक़दमा दर्ज कर लाइसेंसी का लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट शासन को भेज दी जाती है लेकिन इसको एकमात्र प्रभावी कदम नहीं माना जा सकता ।इस ओर कुछ नये कदम भी सरकार को उठाने होगे । प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना मे 100 से अधिक कोर्स में स्किल डेवलपमेंट का काम केन्द्र सरकार बख़ूबी कर रही है अगर सरकार इस मामले को कौशल विकास योजना का अंग समझे तो देशभर में तस्वीर कुछ अलग ही होगी ।
लाइसेंस धारक के लिए एक तरफ़ कुआँ दूसरी तरफ़ खाई अगर फ़ायरिंग कर हथियार को टैस्ट नहीं करते हैं तो अचानक बदमाशों के हमले से बचने के लिए ज़रूरत होने पर हथियार काम ना करने की स्थिति में अपनी जान का जोखिम या जान भी जा सकती है ।और अपने घर पर भी टेस्टिंग के लिए चलाये और कोई विडियो बनाकर वायरल कर दे तो मुक़दमा दर्ज होना और लाइसेंस निरस्त होना तय है । लाइसेंस धारकों की माँग है कि टेस्टिंग के मामले में सरकार को कोई नई गाइड लाइन बनाकर जारी करनी चाहिए ।जिसका पालन करते हुए लाइसेंसी अपने हथियार को टेस्टिंग करता रहे ।
जहां एक ओर सरकार हर लाइसेंस रिन्यूअल पर हज़ारों रूपये की फ़ीस लेती वहीं दूसरी ओर लाइसेंस धारक को किसी तरह की कोई सुविधा आज तक उपलब्ध नहीं करा पाई है ।
अगर लाइसेंसी हथियारों की क़ीमत की बात की जाये तो ये काफ़ी महँगे होते हैं अमूमन 1 लाख से 20 लाख रूपये की क़ीमत तक मिलते हैं । अगर लाइसेंस धारक इतनी रक़म खर्च करने के बाद भी अपने हथियार को सरकारी ख़ौफ़ के चलते जंग के हवाले कर दें तो ज़रूरत पड़ने पर वो काम नहीं करेगा तो ऐसी स्थिति में हथियार भी लूट लिया जायेगा और जान भी जा सकती है फिर सरकार से हथियार का लाइसेंस लेने से क्या हासिल हुआ ।
आम तौर पर हमारी पुलिस या अन्य फ़ोर्स भी ट्रेनिंग में हथियारों में पुरानी बुलेट को इस्तेमाल कर नई बुलेट को फ़ोर्स को दिया जाता है ताकि बदमाशों से मुक़ाबला होने पर ज़बर्दस्त जवाब दिया जा सके
लाइसेंस धारकों का कहना है कि सरकार को सभी लाइसेंस होल्डरों के लिए कोई ऐसी जगह ( शूटिंग क्लब )का इन्तज़ाम करना चाहिए जहां वो 3 महीने या 6 महीने में अपने अस्लाह को टैस्ट फ़ायरिंग कर सके ऐसा करने से हर्ष फ़ायरिंग में कमी आयेगी और घर पर बदमाशों के हमले के वक़्त हथियार भी बेहतर ढंग से काम कर सकेंगे ।
देखने में आया है कि शूटिंग क्लब बनने से जहां लाइसेंस धारक हथियार चलाने में कुशल हो जायेगें वहीं देश को जब ज़रूरत होगी तो पुलिस से कंधे से कंधा मिलाकर सुरक्षा व्यवस्था में अपना योगदान दे सकेंगे जिसका उदाहरण यूक्रेन जैसे देश में आम नागरिक सेना के साथ भरपूर सहयोग कर अपने देश को इस विपदा से निकलने में मदद कर रहा है ।
लोगों का कहना है कि शूटिंग क्लब खुलने के बाद संभवतः हर्ष फ़ायरिंग में 90% की कमी होगी क्योंकि लाइसेंसी को अपने हथियार को चलाने के लिए सरकार द्वारा या जनप्रतिनिधि के प्रयास से एक विश्वसनीय शूटिंग क्लब उपलब्ध होगा वही शूटिंग क्लब में कुशल हो जाने के बाद अनजाने में गोली चल जाने से लाइसेंस धारक की मौत जैसे हादसों में भी कमी देखने को मिलेगी ।
उत्तराखंड को देश का सैनिक राज्य कहा जाता है जिसमें पूर्व सैनिक व प्रतिभावान निशानेबाज़ मौजूद हैं अगर सरकार ज़िलेवार या विधानसभा वार शूटिंग क्लब बनाने के इस विचार पर अपना ध्यान दें तो आने वाले समय में देश को अच्छें निशानेबाज़ खिलाड़ी मिल सकते हैं जिससे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड का नाम रोशन होना तय है ।
लाइसेंस धारकों की पड़ताल करने पर पाया गया है कि अगर किसी ने 15 वर्ष पहले लाइसेंस बनवाया है तो उसपर 15 वर्ष पहली गोलियाँ मौजूद क्योंकि चलाये जाने पर हर्ष फ़ायरिंग में लाइसेंस निरस्त होना तय है अगर उन्हीं गोलियों को बदमाशों से मुठभेड़ में चलाने की कोशिश करेंगे तो वो शायद ही चल पाये और इसका नतीजा लाइसेंसी की जान भी जा सकती है ।
शूटिंग क्लब खुलने से कई वर्ष पुरानी गोलियाँ व कारतूस टेस्टिंग में चल जायेगी व लाइसेंसी के पास नया स्टॉक होने से गोली मिस करने की संभावना संभावना कम ही होगी
वही नई गोलियों की बिक्री से सरकार की आय में बढ़ोतरी होगी और आमजन को आत्मरक्षा करने में आसानी होगी और अपनी रक्षा के वक़्त लाइसेंसी का आत्मविश्वास मज़बूत होगा।
देश के छोटे से राज्य उत्तराखंड के ज़िले हरिद्वार की बात करें तो इसमें 11 विधान सभा सीट है क्या सभी विधायक अपनी अपनी विधानसभा में सिर्फ़ वैध लाइसेंस धारकों के लिए ऐसी जगह आवंटित करा लाइसेंसियों को हर्ष फ़ायरिंग से बचा सकते हैं अगर ऐसी कोई योजना अमल में आती हैं तो वो सभी वैध लाइसेंस धारकों के लिए होनी चाहिए ना कि चुनिंदा लोगों को ही उसका लाभ मिले ।
ये सभी कार्य नियमानुसार सम्बन्धित थाने की देखरेख में काराये जाये ।
वैसे हरिद्वार ज़िले में जनहित के मामलों में सबसे ऊपर खानपुर विधायक व पत्रकार उमेश कुमार का नाम आता है उम्मीद है इस मामले में वो ही कोई नई शुरुआत खानपुर विधानसभा में करा सके ।

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